Wednesday, 8 August 2018

पासी साम्राज्य का इतिहास

रतीय पासी समाज- एक खोज
पासी साम्राज्य 
August 08, 2018, 20:20 PM IST
शुभम सिंह राजवशीं | मेरी खबर
 
 
मेरे लेख का शीर्षक है भारतीय पासी समाज ।आपके मन में विचार आएगा क्या भारत के बाहर भी पासी है जो मैंने भारीतय पासी समाज लिखा है।तो जी हां पासी के नाम पर भारत के बाहर कोई समाज तो नही है  पर पासी नाम कुछ देशो में प्रचलित है।इंटरनेट पर सर्च करने पर पता चलता है की अमेरिका में कुछ लोग पासी नाम लिखते है और पासी नाम किंग या रॉयल के नाम से जाना जाता है पासी नाम लड़को का रखा जाता है।पासी नाम काफी कम लोग उपयोग करते है पर  कुछ लोग अमेरिका में पासी नाम रखते है यह सच है।और वंहा भी पासी नाम का मतलब किंग ही होता है।जब इस बारे कुछ और सर्च किया तो पाया पासी नाम का ओरिजीन अलग अलग साईट पर अलग अलग  दी हुई है कुछ अमेरिका बता रहे है कुछ ग्रीस और कुछ ऑस्ट्रेलिया भी भी बता रहे है  पर सबसे  दमदार पॉइंट है ग्रीस का जो डिटेल में बताता की है की इस शब्द का जन्म कैसे हुआ ।इनका कहना है इंगलिश का पासी शब्द बना है BAISL से और बेसिल शब्द बना BASILUS से। 
BASILEUS  शब्द प्राचीन ग्रीस  में यौद्धा या राजा या  रॉयल फॅमिली  के लिये उपयोग होता था।BASILEUS शब्द  से बना है BASILऔर उससे बना है PASI और यह शब्द रॉयल या शाही या किंग से जुड़ा है इस तरह की जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। पर पासी का किसी भी साईट किसी भी देश में  भारत से जुड़ा नही दिखाया गया है कम सर कम मुझे तो नहीं मिला। मुझे लगता है शायद  इसलिये क्योंकि भारत में पासी नाम नही है बल्कि एक जाती है ।पर एक समानता दिखती है की भारतीय पासी समाज के लोग भी अपने को रॉयल खानदान से जोड़ कर देखते है कारण  10वि शताबदी के के आस पास कई सौ सालो तक उत्तर भारत के एक बड़े भू भाग पर पासी राजाओ ने राज्य किया था उन राजाओ में महाराजा बिजली पासी, महाराजा सातन पासी महारजा लाखन पासी महारजा सुहेल देव  पासी जैसे बहुत से पराक्रमी राजाओ ने राज किया था।
 
इंटरनेट पर खोज के दौरान कई देशो में पासी शब्द का उपयोग मिला  हालांकि यंहा भी पासी का क्या मतलब है कोई एक राय नही बन पाई है अलग अलग साईट पर अलग अलग जानकारी दी हुई है पर एक बात जो सभी जगहो पर कॉमन दिखी वह है की दुनिया में भी बाकि जगहों पर पासी का मतलब रॉयल किंग या यौद्धा ही माना जा रहा है जैसा की हमारे देश में अब पासी समाज अपने इतिहास को जानने के बाद जोड़ रहा है।जब आजादी के बाद इस समाज के लोग पढ़ लिख कर आगे आये तो उन्होंने पासी इतिहास के बारे में खोजबीन की तो पासी समाज के राजा महाराजाओ के बारे में पता चला और इन राजा महाराजाओ के बारे आज कई किताबे लिखी गई है।
 
पासी समाज का इतिहास आज भी पुरे उत्तर भारत में अपनी छाप छोड़ी हुई है जैसे उत्तर भारत की राजधानी लखनऊ शहर के निर्माता महाराजा लाखन पासी थे। लखनऊ शहर के बीचो बीच महारजा बिजली पासी किले के विशाल अवशेष प्राप्त हुए है जो उत्तर परदेश सरकार द्वारा संरक्षित है।वीरांगना उदा देवी पासी जो जिन्हीने आजादी की लड़ाई में कई अंग्रेजो को मारा था आज उनकी प्रतिमा लखनऊ में लगाई गई है।बहुत कुछ है जिसके बारे में पासी समाज के इतिहासकारो ने पासी इतिहास के बारे में किताबो में लिखा है। पर मैं यंहा बात कर रहा हु उन कुछ अनछुए पहलुओ पर जो इंटरनेट पर खोज के दौरान मिले।पासीघाट के नाम से हमारे देश में ही एक एअरपोर्ट पोर्ट है हमारे देश में अरुणाचल परदेश में जिसके बारे में जानकारी पासी समाज के अधिकतर लोगो को नहीं है।
पासी सीटी के नाम से एक पूरा शहर है फिललिपिन् देश में हालांकि पासी नाम के बारे में ज्यादा जानकारी नही मिली पर आप सर्च करंगे पासी सिटी तो फ़िलिपीन देश के एक शहर के बारे में इस पासी सिटी के बारे में पता चलता है। विकिपड़िया पर खोज करते समय पासी शब्द की जानकारी ढुढते समय यह जानकारी मिलती है की पासी शब्द की उत्पति संस्कृत के दो शब्दों से मिल कर बना है पा+आसी  जिसमे पा का मतलब होता है संस्कृत में पंजा और आसी का मतलब होता है तलवार तो इस तरह से पासी का मतलब निकल कर आता है तलवार हाथ में लेना वाला या तलवार बाज या एक यौद्धा का प्रतीक। 
 
इस बात की तकसिद् न सिर्फ पासी राजा महाराजाओ के इतिहास से होती है बल्कि पासी राजाओ का राजपाट खत्म होने के बाद भी इन्होंने बहुत से राजाओ की सेनाओ में अपनी सेवाएं दी यह एक अच्छे लड़ाके होते थे इसिलिय राजाओ के अंगरक्षक सदस्यों में होते थे।अंग्रेजो से भी  लड़ने में इस समाज ने जमकर लोहा लिया इसीलिए अंग्रेजो ने इस समाज पर कण्ट्रोल करने के लिये इस समाज पर जरायम एक्ट लगा दिया था। जिसका बाद के वर्षो में इस समाज पर बहुत बुरा असर पड़ा और यह पासी समाज मुख्य धारा से बहुत पिछड़ गया। आज भारत में पासी समाज कई उपजातियो और सरनेम में बांट गया है आज भारत के पासी समाज के अधिकतर लोग नाम के आगे  पासी,सरोज,रावत,कैथवास लगाते है।पसियो की जाती और उपजाति बहुत सारी है उसे जानने के लिये आपको पासी इतिहासकारो की किताबो को पढ़ना पढ़ेगा।
 
आज भारतीय पासी समाज अपने को अलग थलग पाता है वह घोषित रूप से तो शुद्र में आता है पर वह अपने आपको इतिहास के पासी राजा महाराजाओ के आधार पर खुद को क्षत्रिय मानता है।यह मानने का बड़ा कारण है की हमारे देश में और अधिकतर उत्तर भारत में हिन्दू धर्म की सभी जातिया हिन्दू समाज के किसी न कीसी कार्य में सपोर्ट करती है जैसे धोबी कपडा धोने के लिये,नाइ बाल काटने के लिये,लोहार ,बढ़ई आदि आदि, ब्राह्मण शिक्षा और पूजा पाठ के लिये, और क्षत्रिय राजपाट ,युद्ध और बल के लिये। इसमें पासी समाज कान्हा फिट होता है । पासी समाज  अपने आपको जो नजदीक पाता है वह है क्षत्रिय।इसिलिय आज का पासी समाज का युवा आज अपने इतिहास को जानना चाहता है।
 
इसी दिशा में मैंने कुछ खोज बीन की और जो कुछ नई जानकारियां मुझे मिली जो वह इस लेख के जरिये आप लोगो के सामने प्रस्तुत है। आप लोगो के सुझाव आमन्त्रित है या कोई त्रुटि हो तो जरूरत बताये।
डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं

लेखक

राजेश रामनारायण पासी
शुभम सिंह राजवशीं

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2 comments:

  1. Sir pasi samaj ke itihaas ko janne ke liye koi book suggest kijiye...plz

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